The Train... beings death 37
चिंकी ने ट्रेन के रास्ते में पड़ने वाले तीनों स्टेशनों से वहां की एक-एक जानकारी इकट्ठा कर ली थी। जितनी ज्यादा जानकारियां इकट्ठी हो सकती थी.. उससे ज्यादा ही जानकारियां इकट्ठा कर ली गई थी। चिंकी ने इस काम में ट्रेन में जा रही आत्माओं की भी सहायता ली थी। वह सभी आत्माएं भी अपनी मुक्ति का सोचते हुए चिंकी की हर संभव सहायता करने के लिए तैयार थी और उन्होंने जितनी ज्यादा हो सकती थी चिंकी की मदद भी की थी।
सोमवार रात को जब ट्रेन वापस लौटी तो उसके साथ साथ चिंकी भी भवानीपुर वापस लौट आई थी। रात के 1:30 बज रहे थे। आगे जाने के लिए कोई भी सवारी मिलना तो असंभव था। ट्रेन के खौफ की वजह से अंधेरा होने की बाद वैसे भी लोग स्टेशन के आसपास भी नहीं फटकते थे और जब से लक्ष्मी के साथ वह दुर्घटना हुई थी.. तभी से पुलिस ने अपनी तरफ से सभी लोगों को अंधेरा होने के बाद घर से ना निकलने की रिक्वेस्ट की हुई थी। लक्ष्मी के पैरंट्स ने भी इस काम में पुलिस की काफी मदद की थी।
चिंकी ट्रेन से उतर कर धीरे धीरे अपने घर की तरफ जा रही थी। 2 दिन और दो रातों से चिंकी ट्रेन में थी और हर जगह से जानकारियां निकालने के चक्कर में बिल्कुल भी आराम नहीं कर पाई थी। जिसकी वजह से थकान चिंकी पर बार-बार हावी हो रही थी। पिछली बार जब चिंकी ट्रेन से वापस लौटी थी तब रास्ते में ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज मिल गए थे। लेकिन इस बार चिंकी को शायद पैदल ही घर पहुंचना था।
कैसे तैसे चलते हुए रात 3:00 बजे के आसपास चिंकी अपने घर पहुंची। घर पहुंचने पर चिंकी ने जैसे ही बेल बजाई तुरंत ही अनन्या ने दरवाजा खोल दिया। ऐसा लग रहा था जैसे अनन्या सामने तैयार ही बैठी थी दरवाजा खोलने के लिए।
चिंकी को देखते ही अनन्या ने रोते हुए चिंकी को गले लगा लिया और बोली, "तुम्हें अपनी मम्मी की बिल्कुल भी परवाह नहीं है ना!! ऐसे बिना बताए घर से कौन जाता है??"
चिंकी में मासूम सा फेस बना कर अपनी मम्मी को दिखाया तो अनन्या ने नाराज होते हुए कहा, "तुम्हें भी अपने पापा की तरह मेरी कोई चिंता ही नहीं है। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता मैं जिंदा रहूं या मरूं!! दोनों को ही समाज सेवा करने का शौक चढ़ा हुआ है।"
अनन्या की इस नाराजगी पर चिंकी ने मुस्कुराकर अनन्या के गले में अपनी बाहें डाल दी और प्यार से अनन्या के गले लगते हुए कहा, "हम दोनों ही आपको बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। इतना ज्यादा की हम लोग आपके बिना कुछ भी नहीं कर सकते। पर आपने ही तो सिखाया है कि अगर हम किसी की हेल्प कर सकते हैं तो हमें जरूर करनी चाहिए।"
चिंकी की बात पर अनन्या ने उसे घूरते हुए देखा तो चिंकी ने झूठमूठ गुस्सा करते हुए कहा, "इस घर में किसी को भी मेरी परवाह नहीं है। वरना इतनी रात को भी मुझे दरवाजे पर खड़े रहकर सवाल जवाब नहीं कर रहे होते। इससे तो अच्छा था कि मैं तो ट्रेन में ही रह जाती। वह ट्रेन वाली आत्माएं कम से कम मुझे पेम्पर तो करती हैं।"
इतना कहकर चिंकी दरवाजे की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी ऐक्टिंग पर मन ही मन खुश होने लगी। तभी अनन्या ने चिंकी को कसकर गले लगा लिया और उसे घर के अंदर ले आई। अंदर लाकर चिंकी को खाना-वाना खिलाकर सुला दिया और खुद भी चिंकी के सिरहाने बैठकर सोती हुई चिंकी को देखते हुए उसका सर सहलाने लगी। अनन्या भी वहीं बैठे बैठे सो गई थी।
अरविंद को रात किसी इमरजेंसी के वजह से हॉस्पिटल जाना पड़ा था। सुबह सुबह 7 बजे अरविंद घर वापस लौटे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। चिंकी सोफे पर अनन्या की गोद में सर रखे हुए सो रही थी। अरविंद के आने की आहट पर चिंकी की नींद खुल गई और वह दौड़ कर अपने पापा के गले लग गई। चिंकी के उठते ही अनन्या की भी नींद खुल गई थी।
अरविंद और अनन्या चिंकी के वापस लौटने की खुशी में इंस्पेक्टर कदंब को चिंकी के वापस लौटने की खबर देना ही भूल गए थे।
अरविंद और अनन्या चिंकी के साथ टाइम स्पेंड कर रहे थे। खाने-पीने और बातें करने में सुबह के 9:30 बज गए थे। तभी उनके घर की बेल बजी। अनन्या ने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने इंस्पेक्टर कदंब खड़े थे। उन्हें देखते ही अनन्या को याद आया कि चिंकी के आने के बारे में इंस्पेक्टर कदंब को इन्फॉर्म करना था लेकिन खुशी के कारण वो लोग भूल गए थे।
अंदर से चिंकी के हंसने मुस्कुराने की आवाज आ रही थी। इंस्पेक्टर कदंब ने कन्फ्यूजन से अनन्या की तरफ देखा तो अनन्या ने हड़बड़ाते हुए कहा, "सॉरी इंस्पेक्टर..!! रात को 3:00 बजे चिंकी वापस लौट आई थी। खुशी के मारे मैं आपको इन्फॉर्म करना ही भूल गई। अरविंद भी सुबह सुबह हॉस्पिटल से वापस लौटे थे..आने के बाद हम लोगों को याद ही नहीं रहा।"
इंस्पेक्टर कदंब को भी लगा था कि शायद एक्साइटमेंट की वजह से पुलिस को इनफॉर्म करना भूल गए होंगे। कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं अनन्या जी!! चिंकी के सही सलामत वापस आने की खुशी में आप शायद भूल गई होंगी लेकिन हमारे पास बहुत ज्यादा टाइम नहीं है। हमारे पास केवल आज का टाइम है.. तैयारी करने के लिए। अगर आप लोगों को कोई आपत्ति ना हो तो..!"
कदंब की बात सुनते ही अनन्या ने इंस्पेक्टर कदंब को अंदर आने का इशारा करते हुए कहा, "अंदर आइए..! अरविंद भी अंदर ही हैं। मुझे लगता है हमें अंदर बैठ कर बात करनी चाहिए।"
अनन्या और इंस्पेक्टर कदंब दोनों ही अंदर हॉल में लौट आए थे। अरविंद ने जैसे ही इंस्पेक्टर कदंब को देखा तो खुश होते हुए कहा, "आइये इंस्पेक्टर साहब..!! देखिए हमारी चिंकी वापस लौट आई है।"
कदंब ने मुस्कुराकर चिंकी की तरफ देखते हुए कहा, "बिल्कुल अरविंद जी..!! यह तो बहुत खुशी की बात है। लेकिन मुझे आप लोगों की हेल्प की जरूरत है।"
अरविंद ने सीरियस होते हुए पूछा, "बताइए... किस तरह की मदद चाहिए आपको??"
"बात यह है कि कमल नारायण जी ने पता लगाया है.. जिस ट्रेन से चिंकी कहीं चली गई थी। उस ट्रेन का आना जाना बंद करवाने के लिए बस कल का ही दिन बाकी है और इस काम में चिंकी ही हमारी हेल्प कर सकती है।"
अरविंद को समझ में नहीं आया कि चिंकी कैसे हेल्प कर सकती थी?? अरविंद ने कन्फ्यूजन से अनन्या की तरफ देखा। अनन्या और इंस्पेक्टर कदंब ने मिलकर चिंकी के बनाए हुए स्केच से लेकर कमल नारायण जी का आयाम द्वार से कनेक्शन, लक्ष्मी के साथ हुई दुर्घटना, गौतम की आत्मा से हुई बातचीत और ट्रेन का आना जाना बंद करवाने के संबंध में जितनी भी बातें पता चली थी.. सारी की सारी अरविंद को बता दी थी।
अरविंद को इन सब बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था। अरविंद ने अविश्वास से कहा, "इंस्पेक्टर..! यह सब फालतू का वहम है। आपको पता है कि ऐसा कुछ नहीं हो सकता। इतना पढ़ा-लिखा होकर भी आप इन सब बातों में विश्वास करते हैं??"
"नहीं अरविंद जी...! मैं भी विश्वास नहीं करता था.. लेकिन जिस बच्चे को लक्ष्मी ने जन्म दिया है। उसे अगर आप देख ले तो आपको भी विश्वास हो जाएगा।" इंस्पेक्टर कदंब ने सीरियसली कहा।
"कैसा बच्चा..??" अरविंद और अनन्या ने एक साथ पूछा।
चिंकी भी शांति से बैठी हुई इंस्पेक्टर कदंब की हर एक बात ध्यान से सुन रही थी। तभी अचानक चिंकी को देव की कही हुई बात याद आ गई, "तुम्हारे वहां जाते ही ट्रेन का आना जाना बंद करवाने के लिए कोई व्यक्ति मिलेगा। तुम इस सब में उसकी सहायता ले लेना। वही इस सब में तुम्हारी मदद करेगा।" यह सब याद आते ही चिंकी की आंखों में एक खुशी की चमक दिखाई देने लगी थी।
इंस्पेक्टर कदंब ने तुरंत ही डॉ शीतल को कॉल करके उस जानवर के बच्चे की फोटो मंगवा ली। शीतल ने भी तुरंत ही फोटो भेज दी। इंस्पेक्टर कदंब ने जैसे ही वह फोटो अरविंद और अनन्या को दिखाई तो वह दोनों ही उस विचित्र जीव को देखकर बहुत ज्यादा घबरा गए थे। उन्हें चिंकी की बहुत ज्यादा चिंता होने लगी थी। तुरंत ही उन्होंने चिंकी को कसकर गले लगा लिया।
इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "अब तो आपको विश्वास हो गया ना.. कि इस सब में चिंकी ही हमारी मदद कर सकती है।"
उस जीव को देखते ही अनन्या के मन में घबराहट वाले विचार आ गए थे। इसीलिए अनन्या ने घबराते हुए कहा, "इंस्पेक्टर साहब..!! चिंकी बहुत छोटी है। वह सब कुछ कैसे कर पाएगी?? मैं चिंकी को भेजने की परमिशन नहीं दूंगी।"
अरविंद ने भी अनन्या की बातों में हां में हां मिलाई। तभी चिंकी ने कहा, "पापा..! इस बार जब मैं ट्रेन में गई थी। तब मुझे बहुत सी बातें पता चली। वहीं पर मुझे पता चला कि मुझे घर आते ही किसी ऐसे इंसान के बारे में पता चलेगा जो ट्रेन का आना-जाना रोकने में मेरी हेल्प करेगा। आपने उस जानवर के बच्चे को तो देखा ही है। अगर वह बड़ा हो गया और उसके जैसे और जानवर आ गए तो?? हम सब लोग क्या ही कर पाएंगे?? इसीलिए आप लोगों को मुझे जाने की परमिशन देनी होगी। लेकिन आप चिंता मत करो ट्रेन की सभी आत्माएं इस काम में मेरी हेल्प करेंगी और वह सब मुझे कुछ नहीं होने देंगे। मैं इस बात का आपको विश्वास दिलाती हूं।"
इतना समझाने के बाद भी अरविंद और अनन्या का मन नहीं मान रहा था। फिर भी चिंकी और इंस्पेक्टर कदंब के आश्वासन पर उन्होंने चिंकी को जाने की परमिशन दे दी थी।
इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "थैंक यू अरविंद जी..! मैं कल रात तक चिंकी को सही सलामत आपके पास पहुंचा दूंगा। तब तक के लिए आप मुझ पर विश्वास कीजिए।" इतना कहकर इंस्पेक्टर कदंब चिंकी को लेकर हॉस्पिटल जाने के लिए निकल गए।
हॉस्पिटल में नीरज पहले से ही कमल नारायण जी की मदद के लिए पहुंचा हुआ था। नीरज ने कमल नारायण जी के कहे हिसाब से सारी तैयारियां कर ली थी। चिंकी के वहां पहुंचते ही कमल नारायण जी और नीरज के चेहरे पर खुशी साफ नजर आने लगी थी। कमल नारायण जी ने उत्साहित होकर पूछा, "यही चिंकी है..? जिसके बारे में आप सभी ने मुझे बताया था??"
कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "जी कमल नारायण जी.. यही चिंकी है!!"
चिंकी ने आगे बढ़कर कमल नारायण जी के पैर छूते हुए कहा, "जी दादा जी..! मैं हीं चिंकी हूं। मुझे पता है कि आप ट्रेन का आना जाना बंद करवाने में मेरी हेल्प करेंगे!!"
कमल नारायण ने कन्फ्यूजन से इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखा तो इंस्पेक्टर कदंब ने अनजान बनते हुए अपने कंधे ऊपर उठा दिए। तभी चिंकी ने आगे कहा, "मैं आज रात को ही ट्रेन से वापस आई हूं। वहां से मुझे बहुत सारी बातें पता चली है। वही से मुझे पता चला कि आप ट्रेन का आना जाना बंद करवा सकते हैं और इस काम के लिए आप मेरा ही इंतजार कर रहे हैं।"
कमल नारायण ने आश्चर्य से पूछा, "तुम्हें किसने बताया..??"
चिंकी ने कहा, "ट्रेन में चढ़ने पर ट्रेन सबसे पहले जिस स्टेशन पर रूकती है उसका नाम नीलाक्षल है। वहाँ पर बहुत सारी गिलहरियां रहती हैं। उन्हीं के राजा देव ने मुझे यह सारी बातें बताई है। देव ने हीं कहा था कि आप यहां पर मेरा इंतजार कर रहे हैं ताकि ट्रेन का आना जाना बंद करवा सके। लेकिन उसके लिए हमें सबसे पहले ट्रेन के ड्राइवर को विश्वास दिलाना होगा कि वह मर चुका है। उसके विश्वास होते ही वह ट्रेन को चलाना बंद कर देगा। ट्रेन का चलना बंद होने पर वह जीव यहां नहीं आ पाएंगे। फिर हम अंदर से आयाम द्वार बंद करने का प्रयास करेंगे।"
चिंकी को इतना सब कुछ पता था.. यह जानकर कमल नारायण जी बहुत खुश थे लेकिन इंस्पेक्टर कदंब और नीरज अविश्वास से चिंकी की बातें सुन रहे थे। कमल नारायण जी ने चिंकी की पूरी बात सुनते ही कहा, "मुझे लगता है कि अब हमें इस बारे में देर नहीं करनी चाहिए। हमारे पास बुधवार तक का टाइम है। लेकिन हमें आज ही अपना अनुष्ठान शुरू करना होगा।"
इंस्पेक्टर कदंब और नीरज ने कन्फ्यूजन से पूछा, "मतलब..?? क्या कह रहे हैं आप.. ऐसा कैसे हो सकता है.. आज तो मंगलवार ही है??"
"बिल्कुल सही कह रहा हूं। जब हमें पता चल गया है कि आयाम द्वार के दूसरी तरफ वाले भी इस ट्रेन के आने जाने से परेशान हैं और वह लोग इस आयाम द्वार को परमानेंट बंद करने के लिए हमारी मदद कर सकते हैं। तो हमें दुगनी मेहनत से कोशिश करनी होगी। अगर इस आयाम द्वार को भीतर और बाहर दोनों तरफ से बंद करने की कोशिश की जाए तो भविष्य में भी इसका खुलना असंभव होगा।" कमल नारायण जी ने कहा।
यह सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही खुश हो गए थे। तभी कमल नारायण ने जल्दबाजी से कहा, "अब हमें बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए। जल्दी से जल्दी हमें यहां से उस जगह के लिए निकलना होगा.. जहां पर हमें वह अनुष्ठान करना है। आप दोनों मिलकर जल्दी से सारी तैयारियां कर लीजिए। और हां.. डॉक्टर शीतल को भी उस नन्हें जीव के साथ वही बुला लीजिएगा। आज रात को ही ट्रेन के साथ उस बच्चे को भी उसी की दुनिया में वापस भेज दिया जाएगा।"
कमल नारायण जी की बात से इंस्पेक्टर कदंब और नीरज में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया था। ऐसा लग रहा था जैसे उन लोगों ने कोई बहुत ही इफेक्टिव एनर्जी ड्रिंक पी ली थी और उन लोगों की एनर्जी कभी खत्म ही नहीं होने वाली थी।
अगले 2 घंटों में अनुष्ठान की सारी तैयारियां हो गई थी। कमल नारायण जी, इंस्पेक्टर कदंब, नीरज, चिंकी सभी उस जगह पर पहुंच गए थे। बस डॉ शीतल के आने का इंतजार हो रहा था। डॉ शीतल के आते ही सबसे पहले उस नन्हे बच्चे से कुछ सवाल करने की कोशिश की जाएगी। उसी के बाद आगे के बारे में सोचा जाएगा।
डॉ शीतल को फोन करके पूछा तो डॉ शीतल ने आधे घंटे में पहुंचने का बोल दिया।
तभी इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा, "चिंकी इस बार तुम जब ट्रेन में गई थी.. तो तुम्हें वहां के बारे में क्या पता चला??"
चिंकी ने भी मुस्कुरा कर अपने सर पर हाथ मारा और कहा, "बताया तो था.. नीलाक्षल में मुझे मानव गिलहरियों का राजा देव मिला था। वही हमारी हेल्प करने वाला था। पूरी बात आपको बताई तो थी!!"
चिंकी की बात सुनते ही कदंब ने मुस्कुराकर कहा, "हां बेटा.. आपने बताया था। लेकिन उसके आगे जिन दो जगहों पर ट्रेन रुकती है.. उनके बारे में तो आपने कुछ नहीं बताया।"
चिंकी ने मुस्कुराकर कहना शुरू किया, "दूसरे स्टेशन पर मैने देखा कि चारों तरफ अंधेरा ही दिखाई दे रहा था.. पर ऐसा अंधेरा जिसमें अंधेरा कहने जैसा कुछ भी नहीं था। वह एक धुंधला सा.. कोहरे भरा माहौल था.. जिसमें दिखाई तो दे रहा था.. पर इतना कम... मानो आसपास किसी ने बहुत ही बड़ी जगह में आग जलाकर पानी उबालने रख दिया हो। पानी की भाप.. लकड़ियां जलने का धुआं.. सब कुछ मिलाजुला था या फिर कह लो कि वो एक जाड़े की कोहरे भरी सुबह जैसा था। तो यह था तप्तांचल..!! इसके बारे में देव ने भी मुझे बताया था। लेकिन पिछली बार जब मैंने इस जगह को ट्रेन से देखा था तब वो कुछ अलग थी। कुछ तो ऐसा था वहां जो पहले गई थी तब नहीं था या फिर बाद में गई तब नहीं था।"
चिंकी ने बहुत ही ड्रामा करते हुए सारा कुछ बताया था। चिंकी के एक्सप्रेशंस देखकर ही सभी को मन ही मन बहुत हंसी आ रही थी पर मौके की गम्भीरता को देखते हुए सभी शांत थे। सभी ने सोच लिया था कि सब कुछ ठीक होते ही ये सारी कहानी चिंकी से दुबारा जरूर सुनेंगे।
"अच्छा तो दूसरी जगह का नाम तप्तांचल है..??" नीरज ने भी मुँह बनाते हुए पूछा।
"हां तप्तांचल..!! वहीं से वह धुएं वाले जीव आते हैं।" चिंकी ने कहा।
"और तीसरी जगह..?? उसके बारे में भी बताओ??" कमल नारायण जी ने पूछा।
"उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता चला है। बस इतना पता है कि वहां पर कभी भी रात नहीं होती। वहां रहने वाले जीव सूर्य के प्रकाश से बने हुए है। उस आयाम को चण्डोली कहते हैं। चण्डोली आयाम का राजा प्रचण्डोल है। वह नीले रंग का एक बोना सा.. भारी भरकम जीव है। उसके दो पैर बिल्कुल एक बंदर के जैसे है..मगरमच्छ के जैसी एक लंबी सी पूंछ.. कमर की जगह पर उसके तीन सिर.. और सर के ऊपर उसका धड़ जो कि गर्दन तक किसी घोड़े जैसा है। गर्दन से दो एंटीना निकले हुए है.. हाथ चार है.. उसके तीनों सर ऑक्टोपस के जैसे है.. उसके हर सिर पर एक आंख और एक लंबी सी तीखी तलवार जैसी नाक है। उसके धड़ के ऊपर जहां वह एंटीना निकले हुए है... वहां पर एक बड़ा सा दांतो से भरा हुआ मुंह है। पर दांत इतने सारे है लगता है जैसे के दांतो का गार्डन ही बना हुआ हो। प्रकाश की तीव्रता से कहीं भी आ जा सकता है। अपने आप को प्रकाश में बदल सकता है और क्या बताऊँ इतना ज्यादा डरावना है कि पूछो ही मत।"
इतना कहकर चिंकी ने अपनी बात खत्म की। यह सारी बातें सुनते ही कमल नारायण बहुत ज्यादा शाॅक में दिख रहे थे। हालत तो इंस्पेक्टर कदंब और नीरज की भी ऐसी ही थी लेकिन इस कंडीशन में कुछ भी कहना उचित नहीं था। थोड़ी देर वहां पर सन्नाटा ही फैला रहा।
उस सन्नाटे को डॉ शीतल की कार की आवाज ने तोड़ा। कार के रुकने की आवाज से सभी ने चौंककर गाड़ी रुकने की दिशा में देखा। इतने में डॉ शीतल उस नन्हे विचित्र जीव के साथ कार से बाहर निकली। चिंकी को देखते ही उस नन्हे जीव ने अजीब सी आवाज में चिल्लाना शुरु कर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे कोई छोटा बच्चा दूसरे छोटे बच्चे को देखकर खुश होता है.. वैसे ही वह नन्हा जीव चिंकी को देखकर खुश हो रहा था।
चिंकी भी उसे देख कर मुस्कुराने लगी थी। नीरज ने चिंकी की तरफ देखते हुए पूछा, "यह क्या कह रहा है? और तुम्हारी तरफ ऐसे क्यों देख रहा है??"
चिंकी ने भी अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा, "क्या अंकल..?? आपको इतना भी नहीं पता कि वह छोटा बच्चा है। उसने कोई और दूसरा छोटा बच्चा नहीं देखा है। मुझे देखकर वह बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया है। वह मेरे साथ खेलना चाहता है।"
नीरज कन्फ्यूजन से कभी चिंकी को देख रहा था.. तो कभी उस नन्हे छोटे जीव को। डॉ शीतल उस जीव के साथ आगे चलते हुए अनुष्ठान की जगह पहुंच गई थी। तभी उस नन्हे जीव ने एक अजीब स्वर में चिल्लाना शुरु कर दिया। उसे चिल्लाते देख नीरज ने चिंकी की तरफ देखा। उस नन्हे जीव की चीख सुनते ही चिंकी भी टेंशन में आ गई थी।
क्रमशः.....
Punam verma
05-Apr-2022 08:49 AM
बहुत ही सुन्दर भाग mam 👍
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Fareha Sameen
02-Apr-2022 08:21 PM
Nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
02-Apr-2022 04:02 PM
👌👌
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Aalhadini
02-Apr-2022 06:54 PM
🙏🙏
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